I read this poem when I was in class 3, I guess. It is NCERT bal bharati poem. However, I don't remember the complete poem, so I made it myself. The first four lines are from the original poem, rest is something I made it myself. I hope you guys will enjoy this. If anyone of you come across the original poem, please send it to me. You can comment or email Thanks Anuj पेटु चौबे एक थे पेटु चौबे मशहूर खाते थे भोजन भरपूर जब भी कही से न्योता आता उनका मन फूला ना समाता हाथ मे लोटा, मटकू पेट खाने के लिए ना होते लेट पेट भर जाता पर जब मन ना भरता लोटा भर भर वो ले आते समेट एक दिन ऐसे ही एक न्योता आया चोबे का मन फूला ना समाया सोचने लगे अब खाउँगा भरपेट गरम जलेबी, जुलाब जामुन के प्लेट पहुचे जाके लोटा लेके मिलता नही खाने के मौके भरपेट खाया ठुसे ठुसे कर पाँचो उंगली चूस चूस कर कितना खाए समझ ना आए गिर पड़े पेट पकड़ चिल्लाए कोई बुलाओ डॉक्टर जी को अब तो मरने की नौबत है आए भागते भागते डॉक्टर आए बोले चौबे जी ना घबराए अभी इलाज़ करता हू मैं एक चूरन की पूडिया भरता ह...
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